छंद – घनाक्षरी
शिव शंकर की भक्ति, श्रद्धा भाव यथाशक्ति,
मिटाती यह आसक्ति, बनें दया-पात्र हैं।
मनाएँ हर माह में, त्रिपुरारी की छाँह में,
कृपालु के पनाह में, रहें दिवा-रात्र हैं।
धन के भंडार भरें, मन के विकार हरें,
रोग, शोक नाश करें, जैसे खर-पात्र है।
प्रति मास उपवास, कृष्ण पक्ष का विश्वास,
त्रयोदशी तिथि खास, शुभ शिवरात्रि है।
रचयिता: राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय, भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना।
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