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सबसे बड़ा धर्म – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

जातियों के नाम पर,
इंसानों को बाँटा जाता,
अक्सर दो जातियों में, होता तकरार है।

कई लोग बैठे हुए
हैं दुकान खोलकर,
हर जगह धर्म के, कई ठेकेदार हैं।

जड़ व चेतन जीव
ईश्वर स्वरूप होता,
समान समझ करें, प्रेम व्यवहार है।

इंसानियत से बड़ा
नहीं कोई धर्म होता,
सबसे महान धर्म, मानव से प्यार है।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

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