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सुनीता तेरे धैर्य – मनु रमण

Manu Raman Chetna

चहुँओर हैं छाई खुशियाँ,नवकलियांँ मुस्काई है।

फ्लोरिडा के तट पर देश की बेटी, आज उतरकर आई है।।

साहस शौर्य से भरी वो युवती, धैर्य दृढ़ता का पहन लिबास।

नौ माह अंतरिक्ष में रहकर,अब आई हम सबके पास।।

जिसके साहस पर शीश नवाये, दशों दिशाएँ, तीनों काल।

बाल न बांका हुआ है उसका,दम दम दमके जिसके भाल।।

अंतरिक्ष के वो गर्भ गृह में,सलाद के पौधे उगाकर आई।

अपनों से वो बिछड़ के भी, दुनिया के लिए उपलब्धि लाई।।

हम आकुल व्याकुल थे मानो, एक झलक बस पाने को।

हाथ हिलाकर लौटी सुनीता भारत के मान बढ़ाने को।।

भारत भू के कण-कण महके,महके पावन मेहसाणा।

खुशियों की हो रही हैं बारिश, हुआ सुनीता का जब आना।।

धरती आसमान को एक करी है,नयी प्रयोग कर आई है।

अंतरिक्ष में रहकर वो कितने, अनुभव अपने संग में लाई है।।

बेटा भाग्य से होता पर देखो, बेटियाँ सौभाग्य से आती हैं।

पृथ्वी से लेकर गगन मंडल तक नाम अमर कर जाती है।।

सुनीता तेरे धैर्य दृढ़ता का गान यह जगत दुहराएगा।

जब भी होगी बात तेरी, ये गगन भी शीश झुकाएगा।।

विश्वगुरु भारत की बेटी ने, रचा है फिर से नया इतिहास।

चुनौतियाँ देकर मौत को आई, हँसते-हंँसते हम सबके पास।।

मनु कुमारी,
विशिष्ट शिक्षिका,मध्य विद्यालय सुरीगाँव, बायसी,
पूर्णियाँ, बिहार

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