Site icon पद्यपंकज

सुहाना मौसम- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

मनहरण घनाक्षरी छंद

ठंडी-ठंडी हवा चली,
मुरझाई कली खिली,
देखो नीला आसमान, काला घन चमके।

कोयल की सुन शोर,
छाई घटा घनघोर,
चारों दिशा झमाझम, वर्षा हुई जम के।

काम में किसान जुटे,
खेतों बीच गाड़े खूंटे
घरों में गृहिणियों के – हाथ चुड़ी खनके ।

मिट्टी से सुगंध आई,
चेहरे पे खुशी छाई,
तन मन मह-मह, पसीने से दमके।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

0 Likes
Spread the love
WhatsappTelegramFacebookTwitterInstagramLinkedin
Exit mobile version