हिंदी,
हिन्द की आवाज,
प्राकृत,पाली,संस्कृत से क्रमशः
निःसृत,
भारतीयता की पहचान हिंदी।
भारतेंदु से पंत तक,
महादेवी से भावपूरित,
निराला के अनन्त तक,
दिनकर की ओज से,
रेणु के संसार तक,
प्रेमचंद से स्थापित,
अज्ञेय के आकाश तक,
छायी है हमारी हिंदी।
हिंदी ,हमारेसुख,दुख की भाषा,
हिंदी यह,जीवन की गाथा,
यही पहचान, अस्मिता यही,
मन बस यही भाव दुहराता।
बस यही सत्य,
हिंदी सब-रस,
हृदय में धारित हिंदी भाषा!
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