हमारी अस्मिता हमारी जान,
साहस, संघर्ष और स्वाभिमान।
सत्य की ज्योति, बलिदान की शान,
इसी से ऊँचा भारत महान।
हिंदी है आत्मा की मधुर बोली,
संस्कृति की धड़कन, जन-जन की टोली।
ज्ञान का स्रोत, साहित्य की खान,
हिंदी से बढ़ा देश का मान।
आंधियाँ हमें मिटा न सकीं,
गुलामी की जंजीरें रोक न सकीं।
भाषा और संस्कृति का अनुपम मेल,
यही हमारी पहचान का खेल।
अन्याय की जंजीरें तोड़ेंगे हम,
अत्याचार के तख़्त हिलाएँगे हम।
हिंदी की गूंज से जग जगमगाए,
अस्मिता की मशाल सदा जल पाए।
जो भाषा और धरती से प्रेम करेगा,
वही इतिहास में अमर रहेगा।
हम वही हैं जो हार न मानें,
हिंदी और भारत की शान बढ़ाएँ।
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