हमारे मुंशी प्रेमचंद (जयंती विशेष)
साहित्यिक आकाश में,उगा एक दिव्य चंद्र ,
और कोई नहीं वो , हमारे मुंशी प्रेमचंद!
आनंदी का लाल वो,अजायब का भाल वो,
रचना जिनकी स्वच्छंद, हमारे मुंशी प्रेमचंद।
कालजयी कर्मभूमि,कायाकल्प, रंगभूमि,
नारी की व्यथा पर “निर्मला” लिखे प्रेमचंद।
आजादी की संघर्ष पर,मानव पशु प्रेम पर ,
दो बैलों की कथा लिखे, हमारे मुंशी प्रेमचंद!
समाजिक कुरीति पर , धार्मिक पाखण्ड पर,
लिखे कई कथा भी , हमारे मुंशी प्रेमचंद!
संवेदना की स्याही ले, किसानों के दर्द लिखे
सिपाही कलम के,कहाते मुंशी प्रेमचंद।
स्वरचित:-
मनु रमण चेतना
पूर्णियाँ, बिहार
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