हरी चुनर हरी है चूड़ी , सुहागन कर श्रृंगार।
हिना हरी है काया कंचन, गीत गाये मल्हार॥१॥
भाद्रपद तृतीया तिथि , शुक्ल पक्ष संयोग।
पाई सुहाग सुहागिने , हस्त नक्षत्र का योग॥२॥
निर्जला व्रत सुहागिने , हरितालिका तीज।
श्रेष्ठ कर्म है नारी के , धर्म सनातन रीत॥३॥
धूप-दीप-पूजन करें, शिव भोले को मनाय।
नैवेद्य आशीष मांगती,सुहाग अमर हो जाए॥४॥
सारी रात है जागती , कीर्तन पूजन कर।
हरितालिका राखती , उल्लास हृदय में भर॥५॥
मन में शिव तन में शिव,करती है गुणगान सती।
व्रतसाधे उपवास करे,दिनरात शिवनाम सखी॥६॥
डॉक्टर मनीष कुमार शशि बक्सर
कठिन शब्द:-हिना-मेंहदी, सती-पार्वती
कायाकंचन- शरीर की आभा
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