Site icon पद्यपंकज

हालात से मजबूर- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

Jainendra

जीवन के कई रंग,
लोग यहां लड़ें जंग,
ठंड से ठिठुरे, नहीं चादर है पास में।

कोई नहीं देखे अभी,
दरवाजे बंद सभी,
गली में भिखारी खड़ा- भोजन की आस में।

कुछ दिखे मजदूर,
हालत से मजबूर,
सड़क किनारे बैठा- काम की तलाश में।

किसी को बादाम दूध,
मलाई सुहाता नहीं,
दीनों का धीरज डोले, ईश के विश्वास में।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version