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हिंदी दिवस – रुचिका

Ruchika

कभी इनकार में कभी इकरार में
कभी डाँट में कभी फटकार में
कभी प्यार में कभी मनुहार में
कभी जज़्बातों के ढेरों गुबार में
हिंदी हर घड़ी हमारे साथ है।

शिरोरेखा से सजी है,
चन्द्रबिन्दु और अनुस्वार से सँवरी है
मात्राओं के उलझे हुए जाल में
शब्दकोशों के प्रभाव में
हिंदी हर घड़ी हमारे साथ है।

कविताओं में कहानियों में डूबी है,
यात्रा वृतांत भी नही इससे ऊबी है
संस्मरण ,निबन्ध और लेख में
दोहा,सोरठा और चौपाई के देख रेख में
हिंदी हर घड़ी हमारे साथ है।

हिंदी से ही हमारे सारे संस्कार है,
हिंदी में डूबे हमारे व्यवहार हैं,
शब्द की खूबसूरती से हमें प्यार है
हिंदी से ही होते सारे व्यापार हैं।
हिंदी हर घड़ी हमारे साथ है।

रूचिका
प्राथमिक विद्यालय कुरमौली गुठनी सिवान बिहार

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