हिंदी भाषा प्यारी लगे,
सबसे ये न्यारी लगे,
नानी की कहानी सुन,खुलता ये द्वार है।
शब्द शक्ति खान यहांँ,
गुण गाने जाएं कहांँ,
मन मोहे मीठे बोल, भव्यता अपार है।
संस्कृति सम्मान चित्त,
भारत उत्थान हित,
भाषा निज हर विधि, उन्नति आधार है।
निज भाषा सभी बोलें,
मानस में सुधा घोलें,
अपनी हीं भाषा सखी,अपना संस्कार है।
स्वरचित:-
मनु रमण “चेतना “
पूर्णिया बिहार
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