हिंदी है हमारी अस्मिता की पहचान
हमारे हृदय संवेगों की जान ।
जो अनकही को भी कह जाती है
अंतस से अंतस तक को मिलाती है।
हिंदी है ज्ञान वाहिनी तरल
जो मौन रह , माँ बन
समझा जाती है , सहज सरल।
हिंदी है हमारी मिट्टी की भाषा
जो इशारों में बोल जाती है
इत उत माधुर्य घोल जाती है।
हिंदी है अवचेतन की भाषा
जो चेतनता को दे जाती है
जो हमसे हमें मिलाती है।
हम और क्या हो सकते है
यह हमे बखूबी समझती है।
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