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हिंदी हमारी अस्मिता की पहचान, संगीता कुमारी – Sangeeta Kumari

हिंदी दिवस कविता

✍️ रचनाकार – संगीता कुमारी 

हिंदी है आत्मा हमारी, हिंदी है पहचान,

इसमें छिपा हुआ है भारत का सारा गान।

जन-जन के दिल में गूँजे इसकी मधुर बयार,

हिंदी में ही झलके अपनी संस्कृति का सार।

धरती की खुशबू, अम्बर की झंकार,

हिंदी से जगमग है मेरा संसार।

हिंदी की लहरों में गंगा-सी पवित्रता,

हर शब्द में बसी है अमरता की दृष्टता।

कबीर की साखी, तुलसी का मानस,

मीरा की भक्ति, सूर का आलोकित रस।

लेखनी में इसकी है शुद्धता का रंग,

हिंदी दिवस पर गूँजे इसका प्रसंग।

हिंदी से जुड़े हैं हर दिल के तार,

हिंदी दिवस बनाता सबको एक परिवार।

पढ़ना-लिखना, बोलना और गाना,

हिंदी में ही मिलता जीवन का ठिकाना।

बोलो हिंदी, सोचो हिंदी हर पल,

यही है राष्ट्र की सबसे सुंदर हलचल।

आओ करें प्रण, आज इस दिवस,

हिंदी का बढ़ाएँ हम सब महत्व विशेष।

न हो कोई भेद भाषा के आधार पर,

हिंदी जगमगाए हर घर-द्वार पर।

नरेश कुमार ग्रोवर की यह है पुकार,

हिंदी बने विश्व में सम्मानित आधार।

हिंदी से महके हैं खेतों के गीत,

हिंदी से जुड़े हैं पुरखों के मीत।

शब्दों में इसकी है मधुर सुगंध,

मन को करती यह निर्मल आनंद।

सूरज-सी चमके, चाँदनी-सी बहे,

हिंदी का दीपक हर दिशा में रहे।

हिंदी है संस्कृति, हिंदी है मान,

हिंदी से रोशन है अपना जहान।

विद्या का आभूषण, ज्ञान की ज्योति,

हिंदी से मिलती है सच्ची सरगम-स्वर लय होती।

संगीता कुमारी का संदेश यही,

हिंदी से जग की पहचान सही।

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