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हिंदी है हमारी शान – Dhiraj Kumar

अभी गुजरे बस हज़ार वर्ष, भरनी ऊंची उड़ान है।

भाषा के रंग तो हैं अनेक, पर एक हमारी शान है।

तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशज, सबको अपना मान लिया,

हिंदी बस भाषा नहीं, हमारी संस्कृति की पहचान है।

जो लिखते हैं वही पढ़ते हैं, नहीं होता कोई भी अंतर,

मात्रा तक को आवाज़ मिली, नहीं कोई भी गूंगा अक्षर।

है शब्दकोश भी विशाल और लिंग, वचन का रखा ध्यान,

बड़ों को आदर, छोटों को प्यार, है इसमें तो पूरा सम्मान।

इन गुणों के कारण हिंदी का बढ़ता जाता यशगान है।

बस भाषा नहीं हमारी ये, हमारी अस्मिता की पहचान है।

शब्दों में भाव छुपे होते, भावों का बंधन तोड़ती है,

साहित्य, गीत के द्वारा यह, करोड़ों दिलों को जोड़ती है।

राजभाषा कहलाती है, हमें राष्ट्रभाषा तक लाना है,

हिंदी ने दी आवाज़ हमें, अब इसका मान बढ़ाना है।

डंका बज रहा विदेशों में, अब गर्वित हिंदुस्तान है।

बस भाषा नहीं हमारी ये, हमारी अस्मिता की पहचान है।

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