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हिन्दी- हमारी अस्मिता की पहचान – Aparajita

हिन्दी है हर भारतीय की कहानी, जिसने कभी हार नहीं मानी। 

संघर्षो से जन्मी हिन्दी है आत्मबल की निशानी।

हमारी अस्मिता की पहचान यही है, 

मि‌ट्टी से जुड़ कर जो आकाश को छूती है। 

हिन्दी शक्ति है धैर्य की जो विश्वास से जलती है, 

पीढ़ीयों के त्याग, प्रेम और सम्मान से सींची है।

देश पर संकट मंडराया था, वीरों ने लहू बहाया था।

झाँसी की रानी हो या कुंवर सिंह की तलवार –

रणभूमी में सबने अपना कौशल दिखलाया था।

इन ऐतिहासिक घटनाओं को जन-जन तक पहुंचाया था,

हिन्दी ने नौजवानों के हृदय में साहस का दीप जलाया था।

गांधी जी के सत्य की ढाल हो

या सुभाष चंद्र बोस के तोपों का ऐलान हो 

हिन्दी ने सबको मोतियों के धागे में पिरोया है

आज़ादी का बिगुल पूरे संसार में बजाया है।

सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता, जिसमे थी आज़ादी की गूंज

 कल्पना दत्त की कहानी, जिसने बम बना किया विस्फोट ।

 इनकी कहानीयों से मिलती है हमें प्रेरणा 

नारी हो या नर सबमें हिन्दी जलाती है आत्म-सम्मान की चेतना।

हमारी अस्मिता केवल अतीत की कहानीयां नहीं, 

यह वर्तमान में कार्य करने की प्रेरणा है 

हिन्दी से हमारी पहचान है

भारत के विकास में हिन्दी का महान योगदान है।

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