कुंडलिया: हिन्दी
(1)
हिन्दी से है अस्मिता, हिन्दी ही पहचान ।
भाषा हिन्दी मान रख, हिन्दी हिन्दुस्तान ।।
हिन्दी हिन्दुस्तान, मेल-मिलाप सहयोगी ।
अधिकारी आवाज, करे कुल कायल रोगी ।।
पुनिता सरिता धार, बहे गंगा कालिंदी ।
मधुर गीत त्योहार, जाति-धर्म जोड़ हिन्दी ।।
(2)
हिन्दी पद नियमित बढ़े, पाये घर में लाड़ ।
चमक-दमक हासिल करे, दुनिया सुने दहाड़ ।।
दुनिया सुने दहाड़, बदले पूर्व परिभाषा ।
पाकर हिन्दी प्यार, बन जाये राष्ट्रभाषा ।।
पूर्ण करे श्रृंगार, मध्य माथे की बिंदी ।
भारत में हरहाल, बोलेंगे शुद्ध हिन्दी ।।
—————————लाल बच्चन पासवान,
मुजफ्फरपुर, बिहार ।
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