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हिन्दी हमारी पहचान – Shashi Bhushan

हमारी अस्मिता की पहचान पुंज है,

माँ भारती की निनाद गूंज है,

भाषाओँ , बोलियों का मिलन कुंज है,

प्यारी भाषा हिंदी, जन-जन की भाषा हिंदी।

            क्षमा , दया , धर्म , सत्य , 

            उपमा, रूपक अनुगूंज है,

            श्रृंगार , करुण, वात्सल्य, वीर रस,

            सरस, मधुरता का महाकुंभ है।

आज़ादी की भाषा थी यह , 

माँ के सर की बिंदी है 

अब सात समंदर पार भी ,

UNO मे हिंदी है।

             गुज़ारिश है इतनी,

              माँ–बाप को न ‘मॉम–डैड’ बनाओ ,

              हिंग्रेजी के चक्कर में न ,

               संस्कृति का सत्यानाश कराओ।

पावन, निर्झर ,समुज्ज्वल प्रशस्त इसको पंथ दो ,

शक्ति समर्थ , रश्मि है माटी का कंठ दो ।

पुकारती माँ भारती, तू प्रकाश पुंज है

हिंदी के स्वाभिमान का तू अनुगूंज है ।

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