Site icon पद्यपंकज

हिन्दुस्तान – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

उठती है आवाज दिल से ,

हिंदुस्तान की शान में।

आता है प्रेम दिल में,

वतन के इम्तिहान में।

अपने वतन से प्रेम करने में,

बहुत मुझे गुरुर है।

सब वतन से हमारा वतन,

अग्रणी जरूर है।

कुछ चाहिए न वतन से,

अब हमें देना इसे।

वतन ने हर बार ही,

माँग से अधिक दिया जिसे।

वतन ही सर्वोच्च हमारा,

वतन ही हमारी शान है।

कह दो हमारे शत्रुओं से,

यही हमारी जान है।

तज दे भले कोई मुझे ,

पर मैं न तज पाऊँ इसे।

है वीर वह धीर भी,

वतन का लाज है जिसे।

भूलें न कभी अपने मर्म को,

अपने पूर्व के इतिहास को।

किस छल से हमें फँसाया,

दिया बड़ा संताप जो।

न अब भूल होगी इस कदर,

कभी समय के रफ्तार में।

ले लिया है प्रण सभी,

नानाविध शक्ति प्रकार से।

पूर्व में खोई जो हमने प्रभा,

अब खोने न देंगे हम कभी।

रक्षा सब मिल कर करेंगे,

इस वतन के रखवाले सभी।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा
जिला- मुजफ्फरपुर

1 Likes
Spread the love
Exit mobile version