है मान बाकी – शिखंडिनी छंद
किसे हम कहें, बातें पुरानी।
रहा कुछ नहीं, बाकी कहानी।।
जिन्हें सुबह से, ढूँढा जमाना।
बना अब रहे, ढेरों बहाना।।
नहीं समझते जो मौन मेरा।
वही कुरदते है घाव तेरा।
कभी मचलते पाया सवेरा।
कभी कसक रातों में घनेरा।।
न नींद हमको आती अकेले।
न चैन हमको देती झमेले।।
अभी नजर में है मान बाकी।
मिलो अगर तो है जान शाकी।।
नहीं मिल रहा कोई किनारा।
अभी तक किया कैसे गुजारा।।
कहें हम किसे बोलो हमारा।
रुके हम यहाँ दे दो सहारा।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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