मचाया है हुडदंग,
मर्यादा को किया भंग,
भूल गया शालीनता,वाह भाई होली है।
मदिरा पी झूम रहा,
फटेहाल घूम रहा,
नैयनो में नींद नहीं,खा ली भांग गोली है।
छुप गई सखी सारी,
द्वार आई वृद्ध नारी,
रंगों से मटका भरे,मस्तानों की टोली है।
अचर-बचर खाया,
वेदना से घबराया,
दर्द हुआ छूमंतर,खाई जो हिंगोली है।
एस.के.पूनम।
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