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धारा के विपरीत चलना सीखो- संजय कुमार

Sanjay (DEO)

चलते हैं सब धारा के संग-संग
धारा के विपरीत चलना सीखो।
दिवा में जब हम सोते हैं ,
आँख खुले तो नया दिवस है
दिवस हर नया कुछ सिखलाता है।
अनुभव नया बतलाता है।
कोयल जो गान सुनाती है,
बुलबुल जो तान सुनाती है
सांझ में सूर्य की लाली में
हृदय नव लय में गाता है।
कुछ कहता है जब निश्चल मन,
उन भावों को तुम कहना सीखो।
चलते हैं सब धारा के संग-संग
धारा के विपरीत चलना सीखो।

जीवन की पुस्तक पढ़कर के,
अपना ध्येय बनाना सीखो।
भावों के उलझन से हटकर
अपना जीवन गढ़ना सीखो।
जीवन सत्य है,मृत्यु अटल है
दुःख की छींटे सहना सीखो।
एकाकी जीवन से हटकर
सामुदायिक तुम जीना सीखो
चलते हैं सब धारा के संग-संग,
धारा के विपरीत चलना सीखो।

संजय कुमार
जिला शिक्षा पदाधिकारी
भागलपुर।

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