Site icon पद्यपंकज

जलहरण घनाक्षरी छंद – जैनेन्द्र प्रसाद “रवि’

Jainendra Prasad Ravi

प्रभाती पुष्प
जलहरण घनाक्षरी छंद

हमेशा मगन रहें
ईष्ट का भजन करें,
वृथा नहीं नष्ट करें, समय को पल भर।

कदम बढ़ाएं सदा
फूंक-फूंक कर हम,
जीवन में पड़ता है, चलना संभल कर।

कठिनाई सहने से
जीवन निखर जाता,
गुलाब भी खिलता है कांटों बीच पल कर।

रहें घुल मिल कर
चीनी और पानी जैसा,
समय के अनुरूप, खुद को बदलकर।

जैनेन्द्र प्रसाद “रवि’

Spread the love
Exit mobile version