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बाल दिवस-मनु कुमारी

बाल दिवस

आओ बच्चे तुम्हें बताएं यह,
बाल दिवस क्या होता है।
नवंबर महीने में हीं क्यों,
पूरे देश में मनाया जाता है।

14 नवंबर 1889 ई0 को,
एक महापुरुष का जन्म हुआ 
जवाहरलाल नेहरू नाम था उनका,
जिसपर देश को गौरव हुआ।

मोतिलाल नेहरू पिता थे इनके,
ममतामयी माता थीं स्वरूप रानी।
बाल दिवस के शुभ अवसर पर, तुझे आज सुनाती हूँ मैं कहानी।

बच्चों के वह प्यारे चाचा नेहरू थे,
और बच्चे उन्हें बहुत प्यारे थे।
देश के बच्चों के मन में बसने वाले,
सदा स्वयं भगवान थे।

बहुत हीं प्यारी इनकी थी दुनियाँ,
और सुन्दर मृदु मुस्कान थे।
बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू,
एक समृद्ध पुरूष महान थे।

इलाहाबाद में जन्म लिये थे वह,
और इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण किये।
देश की आज़ादी के खातिर,
कई बार वो जेल गए।

अपनी योग्यता और हुनर के बलबूते,
देश के पहले प्रधानमंत्री बने।
नयी राह, नयी चेतना देकर,
हम सबके वह प्रेरणास्रोत बने।

उनको था स्वदेश से प्यार,
देश के लिए सपने देखे हजार।
उनका एक आखिरी सपना,
जिसपर बलि जाउँ हरबार।

बोले मेरी चिता के राख को,
देश खेतों में छिटवा देना तुम।
शेष जो बच जाए उसको भी,
गंगा जी में प्रवाहित कर देना।

चाचा नेहरू बच्चों के हितैषी थे,
गुलाब और बच्चे पसंद उन्हें थे।
बच्चों के लिए बहुत काम किये,
बच्चों की शिक्षा को प्रथम स्थान
दिए।

बच्चों को सही शिक्षा दें,
सही देखभाल हम उनकी करें।
बच्चे हैं देश के उज्ज्वल भविष्य,
प्रगति से उन्हें नयी जिंदगी दें।

शांति और समृद्धि के महान अनुयायी,
बापू के विचार के थे सहगामी।
बच्चे जिन्हें पाकर होते थे निहाल,
वह थे चाचा नेहरू पं० “जवाहरलाल”।

उनके जन्म दिवस को बच्चों,
बाल दिवस के रूप में मनाते।
उनकी जीवनी पढकर हम,
उनके आदर्शों को अपनाते।

मनु कुमारी
प्रखण्ड शिक्षिका
बायसी, पूर्णियाँ, बिहार 

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