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नारी-ब्रह्मकुमारी मधुमिता सृष्टि

नारी

शिव शक्ति का रूप है नारी
सहनशक्ति की परिभाषा है नारी
प्रेम की मूरत है नारी।

घर को स्वर्ग बनाती
रिश्तों में मिठास लाती
खुशियों से घर महकाती
दुःख दर्द को अपने आँचल में छुपाती।

नारी तू नारायणी
है विश्व कल्याणी
साक्षी है इतिहास की कहानी
कभी तूने न हार मानी
युगों-युगों तक याद रहेगी झाँसी की रानी।

सरोजिनी, इंदिरा, सुमित्रा, कल्पना
कोई कार्य इनसे असाध्य रहा न
झुकता रहा सदा इनसे जमाना।

शिवशक्ति का रूप है नारी
सहनशक्ति की परिभाषा है नारी
प्रेम की मूरत है नारी।

ब्रह्मकुमारी मधुमिता सृष्टि
पूर्णियाँ (बिहार )

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