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सुभाष चंद्र बोस-सुधीर कुमार

सुधीर कुमार

सुभाष चंद्र बोस 

सुभाष चंद्र बोस के जीवन
की है एक सुंदर घटना।
बात है ये उन दिनों की जब
काम था बस पढ़ना-लिखना।
जिस रस्ते से पढ़ने जाते
उसमें थी भिखारिन एक रहती।
ये माता उसको कहते थे
वो बेटा इन्हे भी थी कहती।
स्कूल टिफिन से दो रोटी
उसे रोज निकालकर दे जाते।
बुढ़िया खुश होकर खाती और
आशीष वे बदले में पाते।
एक दिन जब पहूंचे वहां पर
लिए हुए रोटी को हाथ।
पर बुढ़िया उन्हें वो मिली नहीं
लगे सोचने मन में क्या है बात।
पूछने पर लोगों ने बताया
उसकी तो मृत्यु हो गई।
सुन सुभाष पर वज्र गिरा
वे रोते रहे स्कूल में भी।
खुद भी नहीं खाए उस दिन वे
ले आए टिफिन घर होकर खिन्न।
उसे रखे खोल अलमारी में और
गये निकालना भूल कुछ दिन।
एक दिन उनकी मां ने देखा
अलमीरा में चींटियां जाते हुए।
खोल के देखी अलमारी तो
टिफिन में पाई कुछ खाते हुए।
मां कारण पूछी जब उनसे
उन्हें अपने पास बुला के,
सारी बातें सच-सच कह दी
स्वयं ही पास में जा के।
खुश होकर मां गले लगाई
बोली धन्य हो मेरे लाल।
कितना सुन्दर मन है तुम्हारा
और है कितना हृदय विशाल।

सुधीर कुमार

किशनगंज बिहार

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