आजादी का जन्मोत्सव
चलो आज आजादी का जन्म उत्सव मनाए यहां सब मिलकर,
इस पावन स्वर्णिम दिवस पर
आओ मिलकर बने सब एक,
और यह वचन उठाएं कि ,
हम प्राण देकर भी इस
कनक विहग की चमक, एकता
और अखंडता को अक्षुण्ण बनाए
देश मेरा जो था वसुंधरा पर,
प्रखर सा चमक रहा
पर ग्रसित था वह कारा में बंध,
बेड़ियों में पराश्रित था, विवश था।
पर बेड़ियों को काट स्वतंत्र करने को कई सपूतों ने प्राण की बाजी लगा दी।
आज के ही दिन गहन तिमिर की कोख से,
झेल कर क्रांति की प्रसव पीड़ा,
देश में था नव विहान आया।
फिर उगा यह सूर्य आजादी का
फिर मिला हमें वापस देश मेरा।
याद कर ले हम आज उन सपूतों को,
दे श्रद्धा सुमन हम याद कर लें
उन शहीदों को।
आज का दिन गर्व और गौरव भरा है,
मां भारती के भाल पर
इसके लाल ने चंदन किया।
देश के चरणों में अपने रक्त से वंदन किया।
और भारतीय नाम देकर हमें गौरवान्वित किया।
आजादी के स्वर्ण कलश पर
हम मंगल दीप जलाएंगे,
आशा और विश्वास जगाकर
हम समृद्ध भारत बनाएंगे।
जय हिंद जय भारत
बीनू मिश्रा
भागलपुर