आओ बच्चों तुम्हें सीखाएंगे
आओ मेरे देश के नोनिहालों,
कब से कर रहा हूँ प्रतीक्षा तुम्हारी,
एक क़दम चलकर आओ मेरी ओर,
आओ तुम्हें अंगुली पकड़ कर दौड़ना सीखाऊंगा।
आओ मेरे देश के नोनिहालों,
तुम्हारी उम्र हो गई है पढ़ने की,
ध्यान रखो कहीं निकल न जाए उम्र पढ़ने की,
आओ तुम्हें अंगुली पकड़ कर लिखना सीखाऊंगा।
आओ मेरे देश के नोनिहालों,
तेरी हर राह जाती है विद्यालय की ओर,
निहारे गुरुजन तुम्हारे आने की राह,
आओ तुम्हें अंगुली पकड़ कर लिखना सीखाऊंगा।
आओ मेरे देश के नोनिहालों,
तुम्हें स्नेह, प्रेम से गले लगाऊंगा,
तुम्हें राष्ट्र प्रेम की बात सिखाऊंगा,
आओ तुझे राष्ट्र का बेहतर नागरिक बनाऊंगा।
आओ मेरे देश के नोनिहालों,
तुम्हें वीरों की अमर गाथा सुनाऊंगा,
तुम्हें अपने देश की रीति-रिवाज सिखाऊंगा,
तुम्हें अपनी संस्कृति से परिचय करवाऊंगा।
एस. के. पूनम
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