आओ करें आत्म अवलोकन
हिय से निकली एक आवाज
आओ करें आत्म विश्लेषण,
क्या खोया क्या पाया हमने
इस नश्वर संसार में आके।
कुछ पाने की होड़ में
आगे बढ़ने की दौड़ में,
माया मोह के बंधन में पड़कर
जीवन को व्यर्थ गँवाया हमने।
सत्य-असत्य का भेद न जाना
दुनियाँ रुपी इस रंगमंच पर,
क्षणिक लाभ का किरदार निभाया
अपने जीवन को उपहास बनाया।
जीवन को सफल बनाना है तो
सद्गुरुु (ईश्वर) से प्रीत बढ़ाएँ,
इस नश्वर संसार में प्यारे
सबके मन का मीत वही है।
ईश्वर से प्रीत बढ़ाया जो
उसका जीवन खुशहाल हुआ,
सद्ज्ञान की हुई प्राप्ति
पुष्पित, पल्लवित हुआ अंतर्मन।
आओ करें आत्म अवलोकन
मन में द्वेष का भाव न हो,
तृण-तृण और मूल-मूल में
सदा ईश्वर का वास हो।
सेवा और भक्ति से प्यारे
जीवन की तृष्णा मिट जाएगी,
कर्म अगर करोगे सच्चा
जीवन सफल हो जाएगा।
भवानंद सिंह
उ. मा. वि. मधुलता
रानीगंज अररिया
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