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आओ प्रकृति बचाएँ-विनय कुमार

 

आओ प्रकृति बचायें 

प्रकृति ने ही तो हमें संवारा है
पर हमने क्यूँ इसे बिगाड़ा है?
इसकी हर रचना हमें भाती है
यही तो हमारी सच्ची थाती है।

संकल्प करें! इसे हम ना उजाड़े
फ़िर तो प्रकृति ख़ुद को ही सवारे

आओ बताएँ हम क्या-क्या बचायें 
दूर की सोचें न सोचें दायें-बायें

पेड़ लगायें, हरियाली लाये
जीने की ज्यादा सांसे पायें

नदियाँ बचायें, जीवन चलाएँ
हर किसी की ये प्यास बुझाये

पर्वत बचायें वर्षा लाये
पशु-पक्षी इसमें ही शरण भी पाए

हवा बचाएँ, घुटन हटायें 
धरा की ये तपन भी घटायें

मिट्टी बचायें, फसल लहलहाएँ
हर जीवन ही भोजन पायें

पशु-पक्षी बचायें, भोजन-क्रम चलायें
हर जीवन से संकट हटायें

प्रकृति बचायें, स्वयं को ही बचायें
धरती माँ का हम ऋण भी चुकायें

✍️विनय कुमार वैश्कियार
आदर्श मध्य विद्यालय, अईमा
खिजरसराय (गया )

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