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आया दशहरा-बीनू मिश्रा भागलपुर

Binu

आया दशहरा 

दंभ दशानन का हुआ दहन
दसों दिशाओं में फैला आनंद
बाण से सत्य की असत्य मारा गया है
देखो दशहरा आया है।

अधर्म पर विजयी धर्म हुआ
श्रीराम ने संकल्प पूर्ण किया
अभिमान अभिमानी का जीर्ण-शीर्ण हुआ
धैर्य और विश्वास सीता का जीता
जिसने हरा था सीता को
आज वही कपटी रावण हारा है
देखो दशहरा आया है।

दहन की धधकती ज्वाला
रावण के पुतले का
यह केवल उठती लपटें ही नहीं
घमंड किसी घमंडी पाखंडी का जला है
राख हो रही एक कामांध दृष्टि
और प्रेम विश्वास सिया का
आलौकिक हुआ जा रहा है
आज दशहरा है।
अहंकार दर्प कितना भी हो प्रबल विनय क्षमा से ही इंसान शोभित है
जब नर में मिले राम
नारी दुर्गा सीता का हो धाम
रावण का दहन निश्चित होता है
और पुण्य से पुलकित हुई यह वसुंधरा है
हां आज दशहरा है।।

बीनू मिश्रा
भागलपुर

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