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अपना बिहार-भोला प्रसाद शर्मा

अपना बिहार

है बिहार का पावन भूमि
है खुशियों का बौछार
भारत माँ की भाल जो ठहरे
जन्में कितने लाल
कभी बरसे फगुआ में सावन
कहीं अम्लों की फुहार
ये है अपना बिहार।

है महावीर की तपोभूमि
जरासंध की ललकार
सूर्यपुत्र कर्ण सा दानी
चाणक्य में शब्दों का वार
सम्राट अशोक भी दंभ रह गए
किया न पद्मावती पर प्रहार
ये है अपना बिहार।

नालंदा थे रीढ़ ज्ञान के
गोलघर हैं पहचान
विश्वामित्र लिए अवतार यहाँ पे
किया शिष्य ताड़का का संहार
गुरु-गोविंद जी यहाँ बने
सिखों के दसवें करतार
ये है अपना बिहार।

रामानुजन गणितज्ञ महान थे
किये आर्यवट्ट शून्य अवतार
सीता माई जन्म लिए यहाँ
चंद्रगुप्त दिए मगध को तार
कुंवर सिंह शेरशाह सूरी के
सबको थी दरकार
ये है अपना बिहार।

नदियों की तो बात जो बोले
कमला, गंगा सब मिश्री घोले
कोशी, घाघरा, फल्गु नदी है
ब्रह्मपुत्र को नद सब बोले
कहीं कुम्भ तो कहीं चैत्र मास में
मनाते हैं त्योहार
ये है अपना बिहार।

कालीदास की महिमा यहाँ पे
ग्रंथों का इतिहास रचा
मैथिल कोकिल विद्यापति के
काव्यों का जय जयकार हुआ
गीता, शारदा और मालिनी के
स्वर गूँजे सारा संसार
ये है अपना बिहार।

जहाँ केले की शान हाजीपुर
मुजफ्फरपुर के लीची
दरभंगा आमों के राजा
होती यहाँ सेब की खेती
पके पपीते में 12 विटामिन
प्रसिद्ध कटहल के आचार
ये है अपना बिहार।

पाटलिपुत्र नाम पुराना कहते भाई रत्ना
वर्तमान राजधानी इसकी जानें बच्चों पटना
तारामंडल प्रसिद्ध धरोहर
उद्यान संजय गाँधी
केंद्र-विन्दु है मौसम के यहाँ पे
दे सूचना ओला, पानी, आँधी
होती पूजा सुबह-शाम यहाँ
मिलता है संस्कार
ये है अपना बिहार।

भोला प्रसाद शर्मा
प्रा वि गेहुँमा (पूर्व)
डगरूआ, पूर्णिया
(बिहार)

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