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अपना बिहार-प्रीति कुमारी

अपना बिहार 

पुनीत पावन अपना बिहार,
चिर परिचित जिसकी है मुस्कान,
जिसकी धरती सोना उगले,
पग-पग पर जहाँ खुशियाँ ही मिले,
जहाँ बसता है हर दिल में प्यार
यही तो है अपना बिहार। 
जहाँ सीता माँ ने जन्म लिया,
मिथिला वासी को धन्य किया,
जहाँ गंगा कमला सोन बलान
बूढ़ी गंडक और नून बलान
कोसी जैसी अनगिनत नदियाँ
अपनी जल-धारा से
करती हैं भूमि को पावन

जहाँ हर कण-कण हर जन-जन में
बसती है खुशियाँ अपरंपार
यही तो है अपना बिहार।
जहाँ गौतम बुद्ध ने जन्म लिया
और जन्म लिया राजेन्द्र प्रसाद
उनकी वाणी और ज्ञान से
मिल जाता है सबको निर्वाण। 

सद्भाव ही जिनका आभूषण
सादगी जिनकी हो पहचान
जिनके पदचिह्नों पर चलकर
मिल जाता है सबको आधार
यही तो है अपना बिहार। 
यदि बात करें शूरवीरों की
तो सबकी अपनी गाथा है
चन्द्रगुत मौर्य, जरासंध, बिम्बिसार
वीर कुंवर सिंह जैसे अनगिनत
वीरों ने रच डाला एक
स्वर्णिम इतिहास।
जहाँ पैदा हुए अशोक महान 
जिस धरती पर नित नये-नये
होते रहते हैं चमत्कार
यही तो है अपना बिहार। 
अब चलते हैं हम वैशाली
जिसकी महिमा गौरवशाली
जहाँ महावीर के उपदेशों ने
मानव का कर डाला उद्धार
यही तो है अपना बिहार। 
जहाँ प्रतिभाओं की कमी नहीं
जहाँ एक से एक हैं रचनाकार
मैथिल कोकिल कवि विद्यापति
फणीश्वर नेपाली और दिनकर
जिनकी रचनाएँ हैं अद्भुत
भक्ति रीति से ओत-प्रोत
यह कालिदास की धरती है
यह आर्यभट्ट की जननी है
जहाँ कौटिल्य जैसे ज्ञाता थे
और थे लोक नायक जयप्रकाश। 
जहाँ ऋषी-मुनी भी करते हैं
इसकी महिमा का गुण गान
यही तो है अपना बिहार। 
श्याम सुषमा हरितिमा विराजित जहाँ
ककोलत का है जल-प्रपात जाहिर जहाँ 
झूमती डालियों में फूलों की बहार
बिहार वासी को दी है प्रकृति ने संवार 
यहाँ हर बाला में देवी बसती
और हर बालक में बसते राम
यही तो है अपना बिहार। 
हरे भरे हैं बाग जहाँ
फल-फूलों से लदे हुए
अब चलते हैं मुजफ्फरपुर
जहाँ मिलती है शाही लीची
मीठे रस से सराबोर
जहाँ पगरा का बेल भी है प्रसिद्ध
पान पतेली का है शान
लंगड़ा आम दरभंगा को
दिलाती है एक नई पहचान
जहाँ गोनु झा के किस्सों से
हो जाते हैं सब लोट-पोट
जहाँ अतिथि पूजे जाते हैं 
और पूजे जाते हैं दिनकर,
यही तो है अपना बिहार। 
अब आते हैं हम अपने घर
जो है जिला समस्तीपुर
प्रखण्ड है मेरा विद्यापति नगर
जो है बिहार का एक धरोहर। 
जहाँ भक्त से प्रसन्न हुए भगवन
और रहने लगे सेवक बनकर। 
जो विद्यापतिधाम कहलाता है 
शिव की नगरी से जाना जाता है। 
अपने-आप में अद्भूत यह मन्दिर 
जो है भक्त भगवान का मिलन-स्थल।
जहाँ उगना बनकर भोले शंकर
विद्यापति से करते थे मनुहार
यही तो है अपना बिहार। 
इसकी गाथा लिखने बैठूं
तो लिख सकती हूँ मैं इतिहास 
इसका वर्णन करते हुए 
न कभी थकेंगे हमारे हाथ। 
हमें गर्व है अपनी धरती पर
हम करते हैं इसपर अभिमान
इसकी गौरवपूर्ण गाथा को
मेरा बारम्बार प्रणाम। 
यही तो है अपना बिहार। 

प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ विद्यापति नगर समस्तीपुर

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