Site icon पद्यपंकज

अरमान-विजय सिंह “नीलकण्ठ”

अरमान

हम बच्चों का है अरमान
सदा बढ़ाएँ अपना ज्ञान
जो देते हैं गुरु महान
जिनका हम करते सम्मान।

हम सब को भी खेल है भाता
जो हम सबका जीवन साथी
हरदम खुश रहना जीवन में
यही हमारी अपनी थाती।

बस्तों के बोझ से हम सब
हैं छुटकारा लेना चाहते
खेल-खेल और गतिविधियों से
जल्दी-जल्दी ज्ञान हैं पाते।

निजी विद्यालय के बच्चे
रो-रो कर स्कूल हैं जाते
पढ़ाई उनको बोझ है लगती
शिक्षक से वे प्रेम न पाते।

लेकिन सरकारी विद्यालय
हम सबको तो खूब है भाता
क्योंकि यहाँ के नवाचार
है बिन बोझ सब-कुछ सिखलाता।

अंत में हम बच्चों का कहना
हम भी चाहते स्वतंत्र रहना
बस्तों के बोझ से मुक्त हो
चाहते हरदम प्रसन्न रहना।

विजय सिंह "नीलकण्ठ"
सदस्य टीओबी टीम
0 Likes
Spread the love
Exit mobile version