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आत्मविश्वास-संयुक्ता कुमारी

आत्मविश्वास

आओ बच्चों तुम्हें सुनाए कहानी
दिव्यांग नृत्यांगना की।
जो अपने आत्मबल से अपने
सपने को साकार की।

वह थी दिव्यांग नृत्यांगना
नाम था सुधा चंदन।
बचपन से करती थी जो
केवल नृत्य को वंदन।

हमेशा वह सोचा करती
ऊँचे काम करेंगे।
स्वर्ण पदक जीतकर
जग में नाम करेंगे।

लेकिन एक बार उनपर आयी
विपदा भारी।
मंदिर से आते वक्त
बस में ट्रक ने टक्कर मारी।

सभी ने उनको अस्पताल पहुँचाया। 
रही कोमा में कई दिनों तक
अपना दाहिना पैर गँवाया।

पैर कटा जैसे ही देखी
चीख-चीख उसने रोया।
भविष्य अंधकार में गया
दुनिया ही पलट गई।
सोच में डूब गई क्या उसने सब खोया?

बेड पे ही सुधा की नजर पड़ी
डॉ. सेठी “जयपुर फुट” पर ।
चल परी अपने सपने
साकार करने हिम्मत कर।

उनके माँ-बाप भी उत्साह बढ़ाते।
तुम राष्ट्रीय पुरस्कार जीतो
कहते आते जाते।

सुधा ने हिम्मत दिखलाई
नकली पैर लगाई
दो वर्ष मेहनत कर उसने आत्मविश्वास जगाई

नाचे मयूरी फिल्म बनाकर
1986 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
जीत आई।
मन में अगर हौसला हो तो
दिव्यांग भी कर सकते
सब कुछ
यह संदेश जग में फैलाई।

संयुक्ता कुमारी
 क. म. वि. मल्हरिया
 बायसी  पूर्णिया

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