बक्सर जिला
हिन्द का था वह एक जगह
जिसने छोड़ा छवि यहाँ,
वेद-मंत्र को रचने वाले जन्में
कितने ऋषि-मुनि यहाँ।
नाम था गौरी-शंकर मन्दिर
अधसर थे तालाब यहाँ,
होता था जहाँ दमन पाप का
होते प्रफुल्लित श्रापित यहाँ।
वेदशिरा ऋषि ने आकर
किया दुर्व्यवहार यहाँ,
कुण्ठित हो दुर्वासा ऋषि
रुप दिया उसे व्याघ्र बना।
पाकर रूप वह व्याघ्र का
करते गीले नैन यहाँ,
रहते विचलित भ्रमिक मन
वह सिर पटकते जहाँ-तहाँ।
निर्मल हैं हृदय ऋषि के
उपकर ही है उसकी शान,
श्रापित को वह मुक्त करे
ऐसा ही है सबने मान ।
लगाया डुबकी वेदशिरा
पाया रुप है नया,
चमके उनके नाम जहाँ
बरसे मोती हैं वहाँ।
बदल गया है नाम सरोवर
व्याघ्रसर है नाम पड़ा,
व्याघ्रसर से बघसर सबने
इनका नाम धरा।
हुआ युग में है परिवर्तन
सोचा सबने अक्सर,
शुद्ध हुआ और सबने जाना
नाम था जिनका बक्सर ।
भोला प्रसाद शर्मा
पूर्णिया (बिहार)
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