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बाल दिवस-लवली कुमारी

बाल दिवस

आओ सुनाएँ एक कहानी,
बाल दिवस की गाथा जुबानी,
इलाहाबाद के एक संपन्न परिवार में,
14 नवंबर को, एक वीर सपूत जन्मे इस देश में,
उच्च योग्यता, अच्छी शिक्षा,
ऐसे थे उनके संस्कार, 
प्रथम प्रधानमंत्री बन देश में,
हुआ उनका जय जयकार,
देश प्रेमी, एक महान विचारक,
प्रतिभा संपन्न लेखक,
कुशल प्रशासक, भावुक मन,
शांति का देते थे दस्तक, 
जैसे उनको प्यारे थे, गुलाब के फूल,
उतना ही मनमोहक कर देता, बच्चों के शोरगुल,
कहते बच्चे देश के हैं, उज्जवल भविष्य,
उनके अधिकार और देखभाल, पर करना पूंजी निवेश,
बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में,
योजनाएं बनाकर, 
उनको अमलीजामा पहनाया,
बाल समुदाय को लाभ पहुँचाने में,
राष्ट्रीय बाल उद्यान का,
बारंबार लगाया,
बापू के सपने, चाचा नेहरू के अरमान,
बच्चों की प्यारी मुस्कान का, करते हैं सम्मान,
इसलिए तो कहती हूँ बच्चों,
छोटे-छोटे कली हो तुम,
बनना है अगर सुगंधित फूल तुम्हें,
तो रोज विद्यालय आओ तुम,
जहाँ मिलेगी खेल-खेल में शिक्षा,
नई डगर नई सफर की दीक्षा,
चाचा नेहरू के जन्मदिवस को, यादगार बना कर,
करते हैं बच्चों में नई चेतना का विकास, बाल दिवस मना कर,
उनकी जीवनी से प्रेरणा और आदर्श अपनाते,
उनकी समाधि पर अर्पित श्रद्धा-सुमन है करते।

लवली कुमारी
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अनूप नगर
बारसोई कटिहार

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