Site icon पद्यपंकज

बाल मन-अर्चना गुप्ता

बाल मन 

बाल मन होते कोमल निश्छल
मुस्काते नैन ज्यों कुसुम कमल
मन के होते स्वच्छ-भोले-सच्चे
ज्यों व्याप्त श्वेत हिमगिरि धवल

मुखमंडल पर अति मधुर मुस्कान
उनके हिय विराजें सदा भगवान
सफल राष्ट्र के तो कर्णधार हैं बच्चे
उनका जीवन बनाएँ सफल महान

बालक तो बागों के कली-कुसुम
उनके अधिकारों को न भूलो तुम
उड़ जाने दो उन्हें नीलगगन में
क्षमता को उनकी स्वीकारो तुम

दिवस विशेष करें उनका सम्मान
समस्त विश्व का तो वही है मान
चाचा नेहरू से आओ हम सीखें
बच्चा-बच्चा ही है देश की शान

जिस घर-आँगन न होता बचपन
पतझड़ हो जाता मधुमासित जीवन
चाहे बना लें हम महल दो महले
पर सिसक-सिहर रह जाता मन

बच्चों में बसे ईश्वर के मनोहर रूप
कभी शीतल छाँव कभी सुहानी धूप
बालदिवस पर मिलकर लें यही प्रण
सदा हँसे बचपन ज्यों मुस्काए पुहुप

आओ बच्चों निज लक्ष्य को जानो
अपने जीवन का मूल्य पहचानो
राष्ट्र की तुम हो अनमोल धरोहर
कर्तव्यनिष्ठ हो कर्मवीर बन जानो।

अर्चना गुप्ता
अररिया बिहार

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version