Site icon पद्यपंकज

बासी रोटी-भात-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

बासी रोटी-भात

आबs भैया महिमा सुनs बचपन के सौगात के,
सुनके गाथा याद आब हे बासी रोटी-भात के।
बासी भात संग नून पानी,
रोज दिन के हल ईहे कहानी।
माय सिक्का पर रख दे हलs
सुबह लs बचा के रात के।।
बस्ता लेकेs जाऊं स्कूल,
फट्टल अंगा पैर में धूल।
नून रोटी संग तेल लगा के
लपेटलs माई के हाथ के।।
गाती बांध के चना-चबेना ,
मुरही-गुंजा भर-भर दोना।
ओरहा, भुट्टा में जे स्वाद हलs,
की रहतs चिप्स के साथ में।।
दोस्त बनलs जब डालडा-मैदा,
छप्पन रोग होल तन में पैदा।
गैस्ट्रिक, अल्सर बढ़ैलक परेशानी,
बिस्किट के खुराफात से।।
जब से खईलूं मैगी-नूडल,
तब सेहत हमरा से रूठल।
अब तो रिश्ता नs छूटs हय,
डॉक्टर से मुलाकात के।।
घर के दूध औ दही-मट्ठा,
खा के तन भेल हट्टा-कट्ठा।
जब से अईलs स्प्राइट, माजा,
ई बाहर भेल औकात से।।
ई मिठाई से हल बेजोड़ मलाई,
दूर हल रोग नय खैलूं दवाई।
मन मयूर बन नाच उठs हल,
बिन बदली औ बरसात के।
सुन के गाथा याद आब हे,
बासी रोटी भात के।।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version