Site icon पद्यपंकज

बेटी-संध्या

बेटी

बेटी मेरी प्यारी-सी,
अनमोल और न्यारी-सी।
मेरी चाहत मेरा प्यार,
बेटी मेरी, मेरा अभिमान।
बड़े भाग मेरे जो वो मेरे जीवन मे आई,
भाग्य बदल गया सौभाग्य में।
जब प्रेरणा आयी,
जीवन में खुशियां लायी।
जीवन हुआ मेरा गुलजार,
हर दिन जैसे हो त्योहार।
मेरी चाहत मेरा प्यार,
बेटी मेरी मेरा अभिमान।
बेटी में मुझे सरस्वती दिखे,
बेटी मेरी लक्ष्मी का रूप।
मेरी चाहत मेरा प्यार,
बेटी मेरी, मेरा अभिमान।
बेटी मेरी प्यारी-सी
अनमोल और न्यारी-सी।

संध्या
प्रा. वि. बेगमसराय अनुसूचित
प्रखंड-बछवाड़ा
जिला-बेगूसराय

0 Likes
Spread the love
WhatsappTelegramFacebookTwitterInstagramLinkedin
Exit mobile version