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भारत के वीर सपूत-मनोज कुमार दुबे

भारत के वीर सपूत

जननी जन्म भूमिश्च जो स्वर्ग से हमको प्यारी है।
वीर शिवाजी, राणा की यह पुण्य भूमि हमारी है।।
मंगल पांडेय कुँवर सिंह तात्या झाँसी की रानी।
लड़ा गया संग्राम ग़दर का जिसकी अमिट कहानी।।
वह स्वतंत्रता जिसकी ख़ातिर बिस्मिल थे शैदाई।
जूझ गए आजाद पार्क में डटकर लड़ी लड़ाई।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरू की याद करो कुर्बानी।
रक्त से धरती लाल हुई और लाल हो गया पानी ।।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह चलाया।
मुक्ति युद्ध के लिए अहिंसा नया शस्त्र अपनाया।।
कई वर्ष तक लड़े सिपाही दिन और रात न जानी।
दिल्ली चलो सुभाष बाबू ने मांगी थी कई जवानी।।
सन् बयालीस के वीर बागियों जान खपाने वालो।
करो मरो के महायज्ञ में गोली खाने वालो।।
सुनो तिलक महाराज लाजपत भारत के जयकारे।
तुम्हे जेल में रखने वाले खुद लग गए किनारे।।
पंद्रह अगस्त सन् सैंतालीस, यह शुभ दिवस प्रमाण है।
निकल पड़े मजदूर कृषक जिसमें असंख्य वो प्राण है
स्वतंत्रता जिसकी खातिर जो फाँसी को अपनाये।
धन्य है सब वो वीर जिन्होंने मस्तक नही झुकाये।।
बार बार प्रणाम नमन झण्डा को जो फहराया।
भारत उनका ऋणी है जो सीने पर गोली खाया।।

मनोज कुमार दुबे
मध्य विद्यालय बलडीहा
लकड़ी नबीगंज सिवान
©manojdubey

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