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भारत की बेटी -रिंकु कुमारी

मां हमें भारत की बेटी बनकर जीने दो
रश्मों रिवाज की जंजीर तोड़कर आगे बढ़ने दो
लाचार बनकर अब हमें जीना मंजूर नहीं,
फौलाद बने जिगर बस इतना आशीर्वाद दो
भूलकर भी चूड़ियां इन हाथों में ना देना
जुल्मो के खिलाफ आवाज उठाने की इजाजत दो
बहुत सह चुके अत्याचार नसीब का लिखा समझ कर
अब हर आंसू को अंगारा बनकर दहकने दो
जुल्म की आग में कब तक जेल तेरी बेटी
अब तो कुंदन की भांति चमककर जीने दो
मार डाला दहेज ने हमें, दुनियां में आने से पहले
मां!दहेज बाद में जमा करना, पहले धरती पर जन्म लेने दो।

रिंकु कुमारी
प्रा० वि० मजराही
आजमनगर, कटिहार

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