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बिल्ली मौसी की सगाई-निधि चौधरी

बिल्ली मौसी की सगाई

सुनो सुनो सब बहनों भाई,
बिल्ली मौसी की है सगाई।
जंगल में खुशियाँ छाई,
बन्दर मामा बाँट रहे मिठाई।
दूल्हा राजा बने हैं बिलार,
बाराती है ऊंट, कुत्ते,
भेड़िया और सियार।
सजी धजी है बिल्ली मौसी,
लग रही है रानी जैसी।
मधुमक्खी से शहद मंगवाया,
हाथी दादा ने सबको नचाया।
झींगुरों की बजी शहनाई,
भालुओं ने ढोल बजायी।
पेप्सी पी रहें थे सियार
नाच रहा था दूल्हा बिलार।
तभी बारातियों ने उत्पात मचाया,
दहेज़ के लिए शोर मचाया,
चूहे चाचा ने दिमाग लड़ाया,
झट से राजा शेर बुलाया।
राजा ने सबको बुझाया
दहेज़ है पाप ये समझाया
बिल्ली मौसी को डोली चढ़ाया
धूम धाम से फिर हुई विदाई,
सुनो सुनो सब बहनो भाई
बिल्ली मौसी की थी सगाई।

निधि चौधरी
प्राथमिक विद्यालय सुहागी
किशनगंज, बिहार

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