ब्रह्मचारिणी माँ
नमः शिवा
ज्ञान ध्यान की प्रभा,
तपस्विनी महातपा।
जपे तू कोटि मन्त्र जा,
नमः शिवा नमः शिवा।
सहस्त्र वर्ष तप करा,
शतः शतः तू व्रत धरा,
संकल्प तो अटूट है,
नमः शिवा नमः शिवा।
हे माँ तू ब्रह्मचारिणी,
तू शिव में ही विहारिणी।
शिवत्व की प्रभाषिणी,
नमः शिवा नमः शिवा।
अन्तस्थ प्रेम की कला,
तू त्याग तप बहुधरा।
अनंत तप अनंत जप,
नमः शिवा नमः शिवा।
सुता हिमालय राज की,
तू राग शिव के बास की,
आशीष दे माँ तुम कदा,
नमः शिवा नमः शिवा।
डॉ. स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या ‘
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