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कोरोना साल-संयुक्ता कुमारी

कोरोना साल

कभी न आए जीवन में फिर से ऐसा 2020।
मन से जाएगा न कभी कोरोना का टीस।।

आम का बगीचा जाना न हूआ, न रही अचार की खुशबू ।
पास न जाओ किसी के होता रहा यही गुफ्तगू।।

आया न कोई शादी का कार्ड मिला न लिफाफे पर नाम।
सब ने कहा प्यार न जताएँ वरना हो जाओगे बदनाम।।

न डीजे पर थिरकना हुआ न हुआ नागिन डांस।
मास्क लगाकर हुआ मेकअप का सत्यानाश।।

न मना सिल्वर जुबली हुआ न बर्थडे पार्टी ।
मत पूछो यारो यह साल हमने हाथ धो धोकर काटी।।

फ्लाइट की बुकिंग हुई रद्द न बना ट्रेन की ही टिकट।
बना दिया यह साल जीवन को बड़ा ही विकट।।

न पूजा की थाली सजी बजा न मंदिर की घंटी।
घर में ही जीवन बिताओ वरना हो जायेगी कोरोना की एंट्री।।

ईद के पावन मौके पर मिल न पाए गला ।
दिखी तबाही का मंजर दूर रहने में ही सबका भला।।

न ही किसी के घर जाना और न किसी को बुलाना।
फोन पर ही प्यार की बातें रेस्टोरेंट तो आप भूल जाना।।

न रहा कोरोना साल में पार्क घूमने का बहाना।
गर्मी छुट्टी बीत गई पर हुआ न नानी के घर जाना।।

मरने के बाद भी है दहसत अपनों ने भी दूरी बनाई।
कर्म काण्ड भी नहीं हो पाता दिखी जीवन की सच्चाई।।

कितनो ने अपनो को खोया ताउम्र रहेगा यही मलाल।
हे ईश्वर! कभी न देना जीवन में फिर से ऐसा साल।।

संयुक्ता कुमारी
कन्या मध्य विधालय मलहरिया
बायसी पूर्णिया

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