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देश हमारा-जीवन एक कला-भोला प्रसाद शर्मा

देश हमारा

देश हमारा सबसे प्यारा,
हर देशों से है यह न्यारा।
ऊँचे-ऊँचे पर्वत-पठार,
कहीं पे मठ कहीं अटार।
खाई देखो कितने गहरे,
करते हिमगिरि जमकर पहरे।
बहती है यहाँ निर्मल धारा ।
देश हमारा सबसे प्यारा,
हर देशों से है यह न्यारा ।
कितनी अजब है यह धरा,
चारो ओर हरा-भरा।
करके ऋषि- मुनि यहाँ विहार,
घोर तपस्या अल्प आहार।
देश है यह मधुमय हमारा।
देश हमारा सबसे प्यारा,
हर देशों से है यह न्यारा।
यहाँ के मौसम हैं निराले,
चायनीज-अमेरिकन डेरा डाले।
जूही, गुलाब और चमेली,
लगती है जैसे अलबेली।
कहता है यह जग सारा ।
देश हमारा सबसे प्यारा,
हर देशों से है यह न्यारा।
सत्य-अहिंसा इनके प्राण,
बाईबिल, गीता और कुरान।
ताजमहल है इसकी शान,
मेरा भारत देश महान।
सबकी जुबां पे है यह नारा ।
देश हमारा सबसे प्यारा,
हर देशों से है यह न्यारा। 

जीवन एक कला 

जीवन एक कला है, जीवन एक कला।
चलता है चक्र कर योग तुम्हरा,
जैसे खिलकर प्रभाकर करता उजियारा।
जमघट है यह विश्व मानव का,
कर तू सबका भला,
जीवन एक कला है, जीवन एक कला।
जीवन एक कला है, जैसा मर्जी रंग तू डाल 
अम्बर भी हैं शीश झुककर,
चुमेगी तुम्हारी भाल।
काले-नीले सब रंगों में;
रंग गया अगर तू प्यारे,
खिल उठेगा सात रंगों में,
जैसे हैं इन्द्रधनुष हमारे ।
वैसे तुम्हारा दु:ख टलेगा,
जैसे सुख भी है टला ।
जीवन एक कला है,
जीवन एक कला।
गर खुदा तुमको बनाया
मूरत है इन्सानों की,
जान कर तू खुद को वफा
अपने तहखानों की।
कर अर्पण अरमानों की
बिछ जाओ बन सेज वहाँ,
अगर तू जिन्दा है तो
कुछ कर दिखा कहता है ये जहाँ।
न बदला है न बदलेगा यह जग सारा,

दिखा तू ये हौसला।
जीवन एक कला है,
जीवन एक कला।

भोला प्रसाद शर्मा
प्राo विo गेहुमा (पूर्व)
डगरूआ, पूर्णिया (बिहार)

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