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दोहा-विजय कुमार पासवान

दोहा

यह पारस अनमोल रतन
अपना हित करने से पहले,

गैरों का भी हित सोचो।
औरों की एक गलती से पहले,

अपनी भी गलती देखो।।
ध्यान रहे हो न तुमसे औरों की हक मारी।
तुम हो नेक इरादा वाले, मत बनना अत्याचारी।।
भूल अगर हो जाए तो जल्दी से सुधार करो।
क्षमा करो औरों को भी, खुद को भी स्वीकार करो।।
अन्याय अगर करो नहीं, अन्याय को सहो नहीं।
दिल में वह नहीं रखो तो ईष्र्या भी तुम करो नहीं।।
दुःख जीवन में सबको आता दुःख में मत घबरा जाना।
सुख मिले तो लेकिन भाई उसे देख मत इतराना।।
मात पिता से बढ़कर कोई, न अल्ला है न है ईश्वर।
उनका कहना मानो और इनकी हो तुम सेवा कर।।
अपना जो तुमको समझेगा, वो ही तुझ को डांटेगा।
गैर तुम्हारे पीठ के पीछे, तेरी कर्मों को वांचेगा।।
लक्ष्य बनाकर जीना सीखो उसको पाकर ही दम लो।
कांटे भरी राह पथरीली, दोनों पर चलना सीखो।।
जीवन ऐसा जिओ कि जिस पर दुनिया करे गुमान।
जब तक सूरज चांद रहे तब तक रहे तुम्हारा नाम।।
शिक्षा तुमने पाई है, तो उसका उपयोग करो।
ताकत से गर हो न पाए, ज्ञान का तुम प्रयोग करो।।
हीरे मोती से भी बढ़कर, दुनिया में है शिक्षा का धन।
पढ़ें, लिखो, मेहनत से पाएं, यह पारस अनमोल रतन।।

विजय कुमार पासवान
मध्य विद्यालय मुरौल
ग्राम पोस्ट-हो मुरौल

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