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दोहावली-विनय कुमार ‘ओज’

दोहावली

ज्ञान और अनुभव बिना, लगे कठिन सब काज।
मेहनत वो बेकार सा, नहीं अगर ये साज़।१।

शिखर सफलता के चढ़ो, मत खोना तुम आस।
पर पीछे मुड़ देखना, अपने भी हो पास।२।

मन विवेक बल से नया, सृजन करें कुछ नित्य।
समय गँवाना व्यर्थ है, करें नहीं यह कृत्य।३।

छल कोई है क्यों करे, दिल से करता खेल।
विनती भगवन से करूँ, करो सभी में मेल।४।

मन पावन जिसका रहे, करे न हीन विचार।
भेद-भाव करता नहीं, हो उत्तम आचार।५।

गहना लेकर प्रेम का, ह्रदय करे शृंगार।
शुद्ध भाव फ़िर जा बसे, स्वयं का हो निखार।६।

जड़ता मत में हो नहीं, रखना खुला विचार।
तट से लड़ के धार भी, जाती है वो हार।७।

आदर पाता है वही, देता ख़ुद सम्मान।
लेन-देन के काम में, बढ़ जाता है मान।८।

‘ओज’ कहे सबसे यही, फँसो नहीं मझधार।
अंतर्मन की बात सुन, स्वप्न करो साकार।९।

स्वरचित एवं मौलिक
✍️विनय कुमार ‘ओज’
आदर्श मध्य विद्यालय अईमा
खिजरसराय (गया)

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