एक गिलहरी
बड़े पेड़ पर एक गिलहरी,
उसे बुलाते सभी सुनहरी।
जन्म जब यह लेती है,
आँखों से अंधी होती है।
धीरे धीरे बढ़ती जाती,
फिर दुनियाँ देख पाती।
झाड़ियों में भी रहती है,
पास कभी न आती है।
होती है यह शाकाहारी,
पीठ पर है लम्बी धारी।
पूँछ है इसकी झाड़ीदार,
होती है ये बड़ी होशियार।
निधि चौधरी
प्राथमिक विद्यालय सुहागी
किशनगंज, बिहार
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