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एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक-सैयद जाबिर हुसैन

Zabir hussain

एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक

एक से तीन, तीन से पांच,
पांच से वर्ग एक।
इसी में उलझता-सुलझता रहता है।।
एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक।

व्यथा न कहना उसकी मजबूरी है, परीक्षाओं की घड़ी से गुजरता हुआ,
पाठ्यक्रम, पाठ्यचर्या सा उसका सुलझता नहीं है दिनचर्या।।
न ही उसका कोई है रक्षक,
एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक।

घंटी की टनटनाहट किसके लिए हो।
प्रार्थना से पर्यावरण तक निरंतर, गतिविधियों को लेकर चलता रहता है दिन भर।।
एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक ।।

मध्यांतर हो या अंतातर,
कूदते बच्चे, टहलता उनका मन, बहुत मुश्किल से संभालते संभालते ।।
हो जाते है विषयांतर।
इधर-उधर बहुत कुछ सोचना पड़ता है,
कैसे बताएं, कहां तक समाएं, मजबूत हो उनका मन चित, प्रयासों से बहुत कुछ छूटती नजर आती है,
बच्चों का तिलिस्म सोच 
सोच में गहराता जाता है उनका रक्षक।।
उठाने की निरंतर कोशिशों में झिलमिलाते दिए की तरह संभलता।।
एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक ।।

समय की पाबंदियों के बीच,
वक्त की नजाकत से लड़ता हुआ,
जीवन की झंझावटो से जूझकर, पहुंचना है उसको उन पूष्प पर, किसी भी तरह गंतव्य की राह देखना है,

नहीं कोई बाधा को सुनता,
उसके प्रति किसी के सोच में नही खटक,
एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक।।

तकदीर भी देखना है उसको, तस्वीर को भी उकेरना है उसको, खुद ही से खुद को बनाना है उसको,
बहुत सी जिम्मेवारियों को निभाना है उसको ,
दिल से निकलता नहीं एक कसक,
एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक।।।

सैयद जाबिर हुसैन
शिक्षक
कैमूर (बिहार)

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