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गांधी एक मिशाल-विवेक कुमार

Vivek

गांधी एक मिशाल

अधनंगे बदन को धारे
तन पर धोती तान के,
आंखों में लगाकर चश्मा,
हाथों में लाठी की ढ़ाल ले।

चरखे पर जो काटे सूत
वो भारत का था सपूत,
देशभक्ति का दिल में जज्बा लिए
निकल पड़ा वो सीना तान।

बुलंद हौंसले संग ऊंची उड़ान ले
सत्य की जो मिशाल है,
अहिंसा का जिसने अलख जगाकर
कर्मपथ पर हमें चलना सिखाया।

गलत के प्रतिकार का सबक सिखलाकर
आजादी का मर्म समझाया,
सत्याग्रह का बीड़ा उठाकर
अंग्रेजों का जिसने छक्के छुड़ाया।

राष्ट्रजन को एक सूत्री माले में पिरोने का
अद्धंभ जज्बा ले साहस बढ़ाया जिसने,
पोरबंदर का वो सपूत था आया
नाम था जिसका मोहनदास करमचंद गांधी।

जीवनराम कालीदास ने गांधी का था जिसने नाम दिया
राष्ट्रप्रेम की इस भावना का करते हम गुणगान है,
बापू जी के किए त्याग, समर्पण को, जग ने लोहा माना है।

हे राम! उचाव का कर उदघोष
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ताँ हमारा सार्थक कर,
देश को सोने की चिड़िया बनाने वाले बापू
को मेरा करबद्ध प्रणाम है।

गांधी एक नाम नहीं गांधी एक सम्मान है
उनके आदर्श जग के लिए मिशाल है,
जिसका न कोई तोल वो गांधी था अनमोल,
मातृभूमि के लाल, वो गांधी एक मिशाल-2

विवेक कुमार
(स्वरचित एवं मौखिक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय
गवसरा मुशहर मड़वन
मुजफ्फरपुर

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